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Image credit: hindi.cnbctv18.com

भारतीय शेयर बाज़ार में गुरुवार (11 सितंबर 2025) को जोरदार बिकवाली देखने को मिली। हफ्ते के चौथे कारोबारी दिन सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए। लगातार ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अचानक मार्केट ने ऐसा यू-टर्न लिया कि निवेशकों के 3.5 लाख करोड़ रुपये एक झटके में डूब गए।

सेंसेक्स-निफ्टी का हाल

आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 900 अंकों से ज्यादा टूटा और 79,500 के नीचे फिसल गया। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 300 अंक तक गिरकर 24,200 के करीब बंद हुआ। सुबह शुरुआती कारोबार में थोड़ी तेजी जरूर दिखी, लेकिन जल्द ही बिकवाली हावी हो गई और पूरा दिन मार्केट दबाव में ही रहा।

  • सेंसेक्स: करीब 79,450 अंक पर बंद, 900 अंक से ज्यादा गिरावट
  • निफ्टी: लगभग 24,230 पर बंद, 300 अंक की गिरावट
  • मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी भारी नुकसान

किन सेक्टर्स में सबसे ज्यादा गिरावट?

गुरुवार की इस सेलिंग स्प्री में लगभग हर सेक्टर दबाव में रहा।

  • आईटी और बैंकिंग शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
  • मेटल और ऑटो सेक्टर भी लाल निशान में रहे।
  • एफएमसीजी और फार्मा शेयरों में हल्की रिकवरी जरूर दिखी, लेकिन इससे मार्केट का मूड नहीं बदला।

बड़े स्टॉक्स की बात करें तो HDFC बैंक, ICICI बैंक, इंफोसिस और रिलायंस जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर भारी गिरे।

निवेशकों के 3.5 लाख करोड़ रुपये डूबे

आज की गिरावट का असर सीधे निवेशकों की संपत्ति पर पड़ा। बीएसई का मार्केट कैप एक दिन में ही लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये घट गया। कल तक जो निवेशक मुनाफे में थे, आज अचानक घाटे में चले गए।

क्यों टूटा मार्केट?

शेयर बाज़ार के गिरने के पीछे कई वजहें सामने आईं:

  1. विदेशी निवेशकों (FIIs) की बिकवाली – लगातार कई दिनों से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।
  2. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी – ग्लोबल मार्केट में अमेरिका के बॉन्ड यील्ड बढ़ने से इक्विटी पर दबाव बढ़ा।
  3. डॉलर मज़बूत होना – डॉलर के मजबूत होने से उभरते बाजारों से कैपिटल आउटफ्लो हुआ।
  4. घरेलू प्रॉफिट बुकिंग – लगातार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद ट्रेडर्स और निवेशकों ने मुनाफा वसूली शुरू कर दी।

यानी घरेलू और विदेशी दोनों कारणों ने मिलकर मार्केट को नीचे खींच दिया।

एक्सपर्ट्स क्या कह रहे हैं?

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह गिरावट बहुत अप्रत्याशित नहीं थी, क्योंकि निफ्टी और सेंसेक्स पिछले कई हफ्तों से रिकॉर्ड स्तर छू रहे थे।

  • स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड का कहना है, “विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और ग्लोबल संकेत कमजोर होने के कारण मार्केट पर दबाव बना है। निकट भविष्य में अस्थिरता बनी रह सकती है।”
  • जीओजित फाइनेंशियल के एनालिस्ट्स का मानना है कि “निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए। यह गिरावट लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए अच्छे शेयर सस्ते दामों पर खरीदने का मौका है।”

FIIs और DIIs का मूड

  • विदेशी निवेशक (FIIs) ने 11 सितंबर को भारतीय बाजार में लगभग 3,200 करोड़ रुपये की बिकवाली की।
  • वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) ने करीब 2,800 करोड़ रुपये की खरीदारी की।

यानी भारतीय फंड हाउस और बीमा कंपनियां इस गिरावट को खरीदारी के मौके के तौर पर देख रही हैं।

क्या करें निवेशक?

अगर आप भी इस गिरावट से परेशान हैं तो एक्सपर्ट्स की राय जान लीजिए:

  • घबराकर बेचने से बचें – शॉर्ट-टर्म में उतार-चढ़ाव आम है।
  • गुणवत्ता वाले शेयरों पर ध्यान दें – बैंकिंग, आईटी और एनर्जी जैसे मजबूत सेक्टर में अच्छे स्टॉक्स लंबे समय के लिए सही रहेंगे।
  • सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट (SIP) जारी रखें – गिरावट के दौरान SIP निवेशकों को औसत लागत पर फायदा देती है।
  • इंट्राडे ट्रेडर्स को स्टॉपलॉस के साथ ही काम करना चाहिए।

ग्लोबल मार्केट्स का हाल

भारतीय बाजार पर ग्लोबल संकेतों का भी असर साफ दिखा।

  • अमेरिकी बाजार (US Markets) कल हल्की गिरावट के साथ बंद हुए।
  • यूरोपियन मार्केट्स में भी दबाव देखने को मिला।
  • एशियाई बाजारों में निक्केई और हैंगसेंग इंडेक्स लाल निशान में रहे।

यानी विदेशी बाज़ार भी फिलहाल मजबूत संकेत नहीं दे रहे हैं।

आगे क्या?

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में US फेडरल रिजर्व की पॉलिसी, क्रूड ऑयल की कीमतें और डॉलर-रुपया मूवमेंट पर नज़र रखनी होगी।
अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही तो निफ्टी और सेंसेक्स में और दबाव देखने को मिल सकता है।

हालांकि, भारत की GDP ग्रोथ, कॉरपोरेट अर्निंग्स और घरेलू डिमांड मजबूत है। इसलिए लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए चिंता की बात नहीं है।


11 सितंबर का दिन शेयर बाज़ार निवेशकों के लिए बेहद भारी रहा। सेंसेक्स-निफ्टी की गिरावट ने करोड़ों निवेशकों को झटका दिया, लेकिन मार्केट एक्सपर्ट्स इसे सामान्य करेक्शन बता रहे हैं। उनके मुताबिक, शॉर्ट-टर्म में उतार-चढ़ाव रहेगा लेकिन भारत का लंबी अवधि का ग्रोथ स्टोरी बरकरार है। ऐसे में समझदारी यही है कि घबराएं नहीं और सही शेयरों में लंबी अवधि का नजरिया बनाए रखें।

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